गाँधीजी को मारने वाले नातूराम गोडसे की अस्थियां आजतक सुरक्षित क्यों रखी गई है?
30 जनवरी 1948 देश के राष्ट्र पिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। ओर हत्यारे का नाम नथूराम गोडसे। नाथूराम गोडसे ने अपनी पिस्टल निकली और एक के बाद एक करके तीन गोलियां गाँधीजी के शरीर मे उतार दी थी।
इस घटना के बाद पूरे देश मे शोक का माहौल बन गया था। हालांकि पूरे देश को इस घटना के बारे में पता नही था। जिसे बाद में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा उजागर किया गया, की महात्मा ग़ांधी अब हमारे बीच मे नही रहे।
इधर पूरा देश मायूसी मे था और उधर नथूराम गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसपर एक साल से अधिक समय तक मुकदमा चला और इसी बीच उन्होंने अपना जुर्म भी काबुल कर लिया था। की क्यों उसने गाँधीजी की हत्या की।
अपना पक्ष रखते हुए गोडसे ने कहा "गाँधीजी ने जो देश की सेवा की है में उसका में आदर करता हु इसलिए उनपर गोली चलाने से पहले में उनके आदर में झुका भी था,लेकिन उन्होंने अखंड भारत को दो टुकड़ों में बंटा इसलिए मैंने उन्हें गोली मारी"।
आखिर कार 8 नवंबर 1949 को अदालत ने गोडसे को मृत्युदंड की सजा सुनाई। 15 नवंबर 1949 को अम्बाला जेल में गोडसे को फाँसी दे दी गयी।
फांसी से पहले गोडसे के एक हाथ मे गीता और अखंड भारत का नक्शा था। ओर दूसरे हाथ मे भगवे रंग का झंडा था।
कहा जाता है फांसी का फंदा गले मे पहनने से पहले गोडसे ने 'नमस्ते सदा वत्सले ' का भी उच्चारण किया था। ओर साथ मे नारे भी लगाए थे।
सायद आप जानते न हो मगर नथूराम गोडसे की अस्थियां को आज तक नदी में प्रवाहित नही की गई है। वो पुणे में शिवाजी नगर में स्थित एक इमारत की कमरे में सुरक्षित रूप से रखी गयी है।
उस कमरे में अस्थि कलश के साथ उसके कुछ कपड़े और उसके हाथ से लिखे नोट्स भी रखे गए है। नथूराम के भतीजी हिमानी सावरकर के बयान के अनुसार, नथूराम गोडसे ने अपनी परिवार से अपनी अंतिम इच्छा को जाहिर करते हुए कहा था,उसकी अस्थियों को तब तक संभाल कर रखा जाए जब तक सिंधु नदी स्वतंत्र भारत मे समाहित न हो जाय और अखंड भारत स्थापित न हो जाय।
ये सपना पूरा हो जाने के बाद मेरी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित की जाय।
इसलिए गोडसे के परिवार वालो ने उसकी अस्थियो को संभाल कर रखे हुए है। और उनके सपने पूरे होने का इन्तेजार कर रहे है।