prakash mali bhajan
।। दोहा ।।
सायब तेरी सायबी , सब गठ रहिये समान।
ज्यू मेहँदी के पाथ में ,लाली रही रे छुपाय।
।।इसका भेद बता मेरे अवधू ।।
इसका भेद बता मेरे अवधू ,
सामरथ करणी करता क्यो।
डाली भूल जगत के माही ,
जहा देखू जहा तु को तू ।
हाथी में मोटो बण बैठो ,
कीडी में थु छोटो क्यु।
होय महावत उपर बेटो ,
हाकण वालो तु को तू।
इसका भेद ….
नर नारी में एक बीराजे ,
दो दुनिया मे दीखे क्यु।
बालक होकर रोवण लागो ,
राखण वालो तु को तु ।
इसका भेद ….
दाता सगं दाता बण जावे ,
भीखारी के भेलो तू।
मगंतो होकर मागण लागो’,
देवण वालो तु को तु।
इसका भेद ….
चोरा सगं चोर बण जावे ,
बदमाशा के भलो तु।
चोरी करके भागण लागो ,
पकडने वालो तु को तु।
इसका भेद ….
जल थल जीव जगत रे माही ,
जहा देखु जहा तु को तु।
कहतें कबीर सुणों भाई साधु ,
गुरु मीलीया मान यु का यु।
इसका भेद ….